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Title:
Bharteey Cinema Ka Antahkaran
Authors:
Description:
यह विमर्श का दौर है और सिनेमा मज़बूत माध्यम है विमर्श को लोगों में बीच लाने का। इस किताब में लेखक विनोद दास ने दलित विमर्श के लिए सत्यजीत राय की ‘सद्गति’, विभाजन विमर्श पर ऋत्विक घटक की ‘’, अकाल विमर्श के लिए मृणाल सेन की ‘अकालेर संधाने’, मुक्ति विमर्श पर श्याम बेनेगल की ‘मंथन’, लोक मनोरंजन विमर्श पर गोविंद अरविंदन की ‘थम्पू’, मध्यजीवन विमर्श पर मणि कौल की ‘नौकर की क़मीज़’, संगठित राजनीति विमर्श पर अदूरगोपाल कृष्णन की ‘मुख़ामुख़म’, मुस्लिम विमर्श पर एम एस सथ्यू की गर्म हवा, कला विमर्श पर मक़बूल फ़िदा हुसैन की ‘गजगामिनी’, सांप्रदायिकता विमर्श पर अपर्णा सेन की ‘’, जनजाति विमर्श पर गोविंद निहलानी की ‘आक्रोश’, विस्थापन विमर्श पर गौतम घोष की ‘पार’ को केंद्र mein रखा गया है।