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Title:
Sinhavalokan (Dwiteey Bhaag)
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Description:
‘आत्मकथा’ या 'आपबीती’ लिखकर मैं पाठकों के सम्‍मुख आदर्श मार्ग रखने का संतोष अनुभव नहीं कर सकता इसलिए इस कहानी को केवल स्मृतियों और अनुभवी का विचारार्थ वर्णन ही समझा जाना चाहिए। इम सभी लोग समाज की व्यापक हाँडी के एक एक चावल हैं।