In canviz times - साहित्य को है मार्केटिंग की जरूररत
Neelabh's comments -
साहित्य को है मार्केटिंग की जरूररत नीलाभ ने संगोष्ठी में उपस्थित वरिष्ठ और युवा रचनाकारों के सामने एक सलाह पेश की । उन्होंने कहा की साहित्य को मार्केटिंग का भी बहुत जरूररत है । यह प्रयास किया जाए की लोगो तक किताबें पहुंचे । उन्होंने बैंकिंग का हवाला देते हुए कहा की जैसे वितीय समावेशन द्वारा लोगो को बैंक से जोड़ा गया , वैसे साहित्य में भी होना चाहिए ।
Neelabh's comments:-
नीलाभ ने साहित्य समावेशन की जरूररत बताई ऑनलाइन वेबसाइट की जरिए हिंदी साहित्य को लोगों तक पहुचाने पर काम कर रहे नीलाभ ने संगोष्ठी में उपस्थित वरिष्ठ और युवा रचनाकारों के सामने एक सलाह पेश की । उन्होंने बैंकिंग का हवाला देते हुए कहा कि जिस तरह वितीय समावेशन के जरिये लोगो को बैंक से जुड़ा गया,उसी तरह साहित्य में भी होना चाहिए । इसके लिए साहित्य समावेशन (लिटरेचर इन्क्लूजन ) की जरूररत है । बैंकिंग में काफी बदलाव आया है तो साहित्य में भी होना चाहिए । साहित्य में लम्बे अरसे से न तो कोई नया चेहरा दिखा और न ही कोई नयी बात सामने आई ।
सब कुछ पुराना जैसा ही नज़र आ रहा है । मार्केटिंग का भी बहुत जरूररत है । यह प्रयास किया जाएं कि लोगो तक किताबें पहुंचे । किसी भी किताब का एक बार पढ़ा जाना बहुत जरुरी है, तभी उस रचना के प्रति सहमति और असहमति का पता चलेगा । यह काम वेबसाइट के जरिए भी हो सकता है ।
नीलाभ ने साहित्य समावेशन की जरूररत बताई ऑनलाइन वेबसाइट की जरिए हिंदी साहित्य को लोगों तक पहुचाने पर काम कर रहे नीलाभ ने संगोष्ठी में उपस्थित वरिष्ठ और युवा रचनाकारों के सामने एक सलाह पेश की । उन्होंने बैंकिंग का हवाला देते हुए कहा कि जिस तरह वितीय समावेशन
के जरिये लोगो को बैंक से जुड़ा गया,उसी तरह साहित्य में भी होना चाहिए । इसके लिए साहित्य समावेशन (लिटरेचर इन्क्लूजन ) की जरूररत है । बैंकिंग में काफी बदलाव आया है तो साहित्य में भी होना चाहिए । साहित्य में लम्बे अरसे से न तो कोई नया चेहरा दिखा और न ही कोई नयी बात सामने आई ।
युवा प्रकाशक एवम पाठक नीलाभ ने कहा की अब जरूररत है कि हम स्कूलों में जाकर बच्चों को हिंदी साहित्य के प्रति जागरूक करें । अमेरिका में बैठे मेरे दोस्त और आईआईएम में पढ़ रही दोस्त कहती हैं कि मुझे पता नहीं है कि हिंदी में इतना अच्छा लेखन हो रहा है । वह ऑनलाइन पुस्तकें प्रकाशित करवाते हैं ।
In jansandesh - नीलाभ ने साहित्य समावेशन की जरूररत बताई
नीलाभ ने साहित्य समावेशन की जरूररत बताई ऑनलाइन वेबसाइट की जरिए हिंदी साहित्य को लोगों तक पहुचाने पर काम कर रहे नीलाभ ने संगोष्ठी में उपस्थित वरिष्ठ और युवा रचनाकारों के सामने एक सलाह पेश की । उन्होंने बैंकिंग का हवाला देते हुए कहा कि जिस तरह वितीय समावेशन के जरिये लोगो को बैंक से जुड़ा गया,उसी तरह साहित्य में भी होना चाहिए । इसके लिए साहित्य समावेशन (लिटरेचर इन्क्लूजन ) की जरूररत है । बैंकिंग में काफी बदलाव आया है तो साहित्य में भी होना चाहिए । साहित्य में लम्बे अरसे से न तो कोई नया चेहरा दिखा और न ही कोई नयी बात सामने आई । सब कुछ पुराना जैसा ही नज़र आ रहा है । मार्केटिंग का भी बहुत जरूररत है । यह प्रयास किया जाएं कि लोगो तक किताबें पहुंचे । किसी भी किताब का एक बार पढ़ा जाना बहुत जरुरी है, तभी उस रचना के प्रति सहमति और असहमति का पता चलेगा । यह काम वेबसाइट के जरिए भी हो सकता है ।
In lucknow DNA - स्कूलों में जागरूकता पैदा करने की जरूररत