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Title:
Vishnu Nagar Ke Vyangya Dharm Aur Rajniti Ke Aine Mein
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Description:
यथार्थ के धरातल पर तार्किकता के साथ विष्णु नागर व्यंग्य के माध्यम से और अपनी प्रबुद्ध राजनीतिक चेतना द्वारा समाज में गहरे पैठे उन विकृतियों को सबके समक्ष प्रस्तुत करते हैं, जो दिन-प्रतिदिन अपनी जड़ों को और भी विस्तारित करती जा रही है। इन विकृतियों को प्रस्तुत करने के बाद उन तमाम राजनेताओं, धर्मावलम्बियों एवं सत्ता के समर्थकों को भी सबके सामने लाते हैं, जो इसमें खाद-पानी देते रहते हैं।