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Title:
Mode ke Baad
Description:
उपन्यास में जशपुर का उल्लेख होते ही मुझे ‘डमकच’ गीत की पंक्तियाँ याद आ गईं: ‘जसपुरक टोंगरी में, जतरा गड़इए गेल, गुनुरे-गुनुरे चुनुरू जतरा बोले’। उपन्यासकार निर्मल तिग्गा ने बड़े ही भावपूर्ण शैली में इसे लिखा है। इसके सभी पात्र और घटनाएँ आकर्षित करती हैं।