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Title:
Chinar Ka Sookha Patta
Description:
'चिनार का सूखा पत्‍ता' काव्य-संग्रह की रचनाओं में हिमालय की ऊंचाई और अरब सागर की गहराई तो नहीं पर जिस धरातल पर पुरुष वाचक सर्वनाम स्वयं को अभिव्यक्त करता है उस समय के अंतर्विरोधों और विषमताओं का लेखा-जोखा ज़रूर है । इन रचनाओं में थोड़ा 'मैं', थोड़े ' आप', और थोड़ी ' आज की उपसंस्कृति' बिखरी पड़ी है ।