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Title:
Bimar Manas Ka Geh
Description:
मुसाफिर दलित समुदाय का अंग है, इस नाते इस स्वानुभूति के आधार पर भी कविताएं लिखता है। दलित होने का दंश इस कवि को भी झेलना पड़ा है इसलिए स्वाभाविक है कि वह दलित चेतना को भी अपनी काव्य चेतना में शामिल करता है। ऐसी कविताओं में वह समाज में अस्पृश्यता अथवा सवर्ण-अवर्ण के भेद की अमानुषिकता पर बड़ी बेबाकी से चोट करता है।