भारतीय नवजागरण उनकी विशेष अभिरुचि एवं विशेषज्ञता का क्षेत्र रहा है। पिछले तीन दशकों से उन्होंने हिंदी नवजागरण के गहन और विशद अध्ययन के साथ बंगला नवजागरण पर नये दृष्टिकोण से
भारतीय नवजागरण उनकी विशेष अभिरुचि एवं विशेषज्ञता का क्षेत्र रहा है। पिछले तीन दशकों से उन्होंने हिंदी नवजागरण के गहन और विशद अध्ययन के साथ बंगला नवजागरण पर नये दृष्टिकोण से विचार किया है।
साहित्य और विचारधारा (2006), भारतेन्दु एवं बंकिमचन्द्र (1997) और हिंदी और बंगला नवजागरण (2013) पुस्तकें हिंदी और बंगला साहित्य के सजग और संवेदनशील अध्ययन की दस्तावेज़ हैं। औपनिवेशिक शासन उन्नीसवीं शताब्दी और स्त्री प्रश्न (2019) इतिहास से वर्तमान की अद्यनता तक ज़रूरी स्त्री प्रश्नों की विस्तृत प्रस्तुति है। यह पुस्तक वर्तमान के दो अनिवार्य प्रश्नों – स्त्री और जाति की पहली कड़ी है।
बंकिमचन्द्र के हिंदी में अप्रकाशित निबंध (2021) और बंकिमचन्द्र के निबंध सत्तर से अधिक निबंधों को पहली बार हिंदी में सामने लाती हैं। राधामोहन गोकुल की अप्राप्य रचनाएँ (2013), सुभद्रा कुमारी चौहान ग्रंथावली (2015) और नज़ीर अकबराबादी रचनावली (2015) विस्तृत भूमिकाओं सहित महत्त्वपूर्ण साहित्य को खोजकर सहेजने का प्रयास है।
सम्प्रति वे वर्द्धमान विश्वविद्यालय, पश्चिम बंगाल में हिंदी की प्रोफ़ेसर हैं।