मैं आरती वर्मा, मेरा जन्म १३ जून १९६८ गया बिहार में हुआ। इतिहास में स्नातक एक गृहिणी, नवी मुंबई निवासी हूं और लेखन में रुचि रखती हूं।
बचपन से ही पत्र पत्रिकाओं को पढ़ने का शौक था, और फिर उन में लेखन की जो भी प्रतियोगिताएं होती, उनमें भाग लिया करती थी और यदा-कदा मेरी कहानियां पसंद की जाती थीं। धीरे धीरे मेरा रुझान कविता लिखने की तरफ होने लगा, समय समय पर अभी भी लिखती हूं। ४-५ कविताएं कुछ पत्रों में प्रकाशित भी हुईं। स्नातक की पढ़ाई पूरी होने के बाद शादी हुई और फिर घर गृहस्थी के कार्यों में मैंने लिखने पढ़ने के शौक को पीछे धकेल दिया।
सालों बाद मैने फिर से लिखना शुरू किया, देर आए दुरुस्त आए। मूलतः मेरा लेखन स्वांत: सुखाय है। अकसर आसपास हो रही घटनाएं उद्वेलित करती हैं, और मेरी लेखनी इन मनोभावों को कागज पर उतार देती है। इसमें कहां तक सफल होती हूं, ये कह नहीं सकती। अपने साथी सहेलियों की कही अनकही बातें मुझे कविता लिखने के लिए प्रेरित करती हैं। इस उम्मीद से लिखती हूं कि मैं उनके मन की बातों को शब्द दे पाऊं। मेरी लिखी कविताओं से लोग खुद को जोड़ पाएं और उन्हें लगे कि यही बात है जो वो कहना चाहते हैं।