राजकुमार कुम्भज
12 फ़रवरी, 1947, मध्यप्रदेश.
स्वतंत्राता-संग्राम सेनानी एवं किसान परिवार / छात्रा-जीवन में सक्रिय राजनीतिक भूमिका के कारण पुलिस-प्रशासन द्वारा लगातार त्रास्त / बिहार ‘प्रेस-विधेयक’ 1982 के विरोध में सशक्त और सर्वथा मौलिक-प्रदर्शन / आपात्काल 1975 में भी पुलिस बराबर परेशान करती रही / अपमानित करने की हद तक ‘सर्च’ ली गई / यहाँ तक कि निजी जिश्न्दगी में भी पुलिस- दख़लंदाज़ी भुगती / ‘मानहानि विधेयक’ 1988 के ख़िलाफ़ ख़ुद को जश्ंजीरों में बाँधकर एकदम अनूठा सर्वप्रथम सड़क-प्रदर्शन / डेढ़-दो सौ शीर्ष स्थानीय पत्रकारों के साथ जेल / देशभर में प्रथमतः अपनी पोस्टर कविताओं की प्रदर्शनी कनॉट-प्लेस नई दिल्ली 1972 में लगाकर बहुच£चत / गिरफ्श्तार भी हुए / दो-तीन मर्तबा जेल-यात्रा / तिहाड़ जेल में पंद्रह दिन सजश काटने के बाद नए अनुभवों से भरपूर / फिर भी संवेदनशील, विनोद-प्रिय और जिश्न्दादिल / स्वतंत्र-पत्रकार.
स्वतंत्र – कविता – पुस्तकें : मैं यात्रा में हूँ 2019, वे जो थे हममें से ही कुछेक 2019, जिस तरह घेरती है लौ 2019, अभी भूकंप नहीं आया है 2019, अंधेरे में अदृश्य जो 2019, एक करघा कड़ाहों में 2020, थोड़ा लोहा भी था 2020, एक शब्द था प्रेम 2020, इन दिनों की चुप्पी में 2020, अंधेरा लीपता है मुझे 2021, अजन्मी ऋतुओं की कविता 2022, बदलते दिनांकों की तरह 2022
देश की लगभग सभी महत्वपूर्ण, प्रतिष्ठित, श्रेष्ठ पत्रा-पत्रिकाओं में निरंतर रचनाओं का प्रकाशन.
व्यंग्य-संग्रह: आत्मकथ्य 2006.
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