कथाकार शिवमूर्ति का जन्म मार्च, 1950 में सुल्तानपुर (उत्तर प्रदेश) जिले के गाँव कुरंग में एक सीमान्त किसान परिवार में हुआ।
पिता के गृह-त्यागी हो जाने के कारण शिवमूर्ति को अल्प वय में ही आर्थिक संकट तथा असुरक्षा से दो-चार होना पड़ा।
इसके चलते मजमा लगाने, जड़ी-बूटियाँ बेचने जैसे काम करने पड़े। कथा-लेखन के क्षेत्र में प्रारम्भ से ही प्रभावी उपस्थिति दर्ज करानेवाले शिवमूर्ति की कहानियों में निहित नाट्य सम्भावनाओं ने दृश्य-माध्यम को भी प्रभावित किया। कसाईबाड़ा, तिरियाचरित्तर, भरतनाट्यम तथा सिरी उपमाजोग पर फिल्में बनीं। तिरियाचरित्तर तथा कसाईबाड़ा के हजारों मंचन हुए।
आपकी कहानियाँ अनेक देशी-विदेशी भाषाओं में अनूदित हैं।
प्रकाशित रचनाएँ : केसर कस्तूरी (कहानी संग्रह); त्रिशूल, तर्पण, आखिरी छलांग (उपन्यास), कसाईबाड़ा (नाटक) और मेरे साक्षात्कार (सं. सुशील सिद्धार्थ)।
प्रमुख सम्मान : तिरियाचरित्तर कहानी 'हंस' पत्रिका द्वारा सर्वश्रेष्ठ कहानी के रूप में पुरस्कृत। आनन्दसागर स्मृति कथाक्रम सम्मान, लमही सम्मान, सृजन सम्मान एवं अवध भारती सम्मान।