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Title:
Pratinidhi Kahaniyan
Description:
कहानी का कोई अलग सच नहीं होता है। जिंदगी का सच ही कहानी का सच है। वस्तुतः इसी सच की खोज की दास्तान तो स्वयं कहानी बन गये। गांधी ने सच के प्रयोग किये, उसकी खोज की तो कहानी बन गये।