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Title:
Dahan Raag
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Description:
सोचने की बात है कि कविता को किसने बांधा। धूमिल ने कविता को भाषा में आदमी होने की तमीज कहा। भारतेन्दु कहते है कि निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति के मूल। अगर भाषा को बांध दिया जाय तो कविता अपने बंध जाएगी। जब बंध जाएगी तो उसके भीतर परिवर्तन की ताकत नहीं बचेगी। लेकिन वह ताकत कविता में ही होती है की पहले वह खुद को उबारती है फिर समाज को ।