This is an ebook only and can't be downloaded and printed.
Add To BookRack
Title:
Dara Hua Ped
Description:
पिछले करीब दो साल के काल खंड में लिखी गईं ये कविताएं कोई निजी रुदन या पीड़ा नहीं हैं। यह कवि की व्यथा भी नहीं हैं। इसमें संयोग वियोग का भी उल्लेख नहीं हैं। इसमें न राग है न विराग है और न ही विरह है। निजी सुख-दुख भी नहीं है। इन कविताओं में पीड़ा है समाज की। नजरिया है सियासत का। स्वप्न है भविष्य का। चिंता है देश की। चेतावनी है आसन्न संकट की।