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Title:
Main Kahin Aur Bhi Hota Hoon (Kunwar Narayan Ki Kavitayein)
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उनके काव्य में आशा-निराशा, व्यष्टि-समष्टि, आधुनिकता-परंपरा, इतिहास-स्मृति जैसे द्वंद्वात्मक अभिधान एक साथ जगह पाते हैं। चयन के समय इस काव्य-दृष्टि को रूपायित करते हुए उनकी अभिव्यक्ति के विविधवर्णी संसार को साकार करने का प्रयत्न किया गया है।