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Title:
Gadya Wadya Kuchh
Authors:
Description:
कविता की आलोचना के मामले में मेरा यह मानना है कि स्वाभाविक रूप से आलोचना के विकास क्रम में तीन चरण होते हैं । पहले चरण में आलोचना रचनाकार या कवि पर केंद्रित होती है । विकास के दूसरे चरण में रचनाकार या कवि की जगह रचना या कविता केंद्र में आ जाती है । इस दूसरे चरण में आलोचक कवि के आभामंडल से मुक्त होकर आलोचना करता है । रचना का तार्किक और युक्तिसंगत विश्लेषण करता है ।