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Title:
Chune Huye sher GyanPrakash Vivek
Description:
इस संग्रह के शेरों को पढ़ते हुए जो बात मुख्य रूप से महसूस हुई वह यह है कि दुष्यंत कुमार की शदीद तकलीफ की तरह ही ज्ञानप्रकाश विवेक की बेचैनी या गाढ़ा दुःख उनसे ग़ज़लें लिखवाता है. दुष्यंत जब कहते हैं ‘मुझमें रहते हैं करोड़ों लोग चुप कैसे रहूँ’ तो भी भी लाखों भूख,गरीबी, और बेघरी में जीते लोगों का गाढ़ा दुःख’ उनकी अभिव्यक्त में शामिल हो जाता है।