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Title:
Aurate aur Awaze
Description:
औरतें और आवाजें' कुछ 37 सधे हुए अंदाज में लिखे गए लेखों का संग्रह है। 'इक्कीसवीं सदी की स्त्री', 'बदल रही हैं संहिताएँ', 'बदलती तस्वीर', 'महिला लेखन किसी की मोहताज नहीं' आदि जैसे इन लेखों के शीर्षक ही बता रहे हैं कि आज का स्त्री-विमर्श कहाँ से कहाँ आ पहुँचा है। एक लेख में लेखिका मर्दवादी विमर्श की चर्चा करते हुए लिखती हैं : ''लोग चाहते हैं कि औरतें कमाकर लाएं लेकिन रहें वे हुक्म की गुलाम ही।