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Title:
Madhyakaleen Sahitya Punarvlokan
Description:
मध्यकालीन साहित्य का अध्ययन फिर से कुछ अधिक अपेक्षित हो उठा है। आलोचना के तर्क और युक्तियों को नई ऊर्जा देने में या उसे अधिक योग्य बनाने में उस (मध्यकालीन) साहित्य की कोई सजीव भूमिका बची है या नहीं?