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Title:
Surdas
Description:
'सूर' के संदर्भ में उनका यह लेख सर्वप्रथम 'भ्रमर गीत सार' की भूमिका के रूप में प्रस्तुत हुआ। 'भ्रमर गीत सार' सूर सागर के एक विशेष संदर्भ को ही प्रस्तुत करता है। अत: भूमिका में सूर के संदर्भ में कवि ने उन तथ्यों को ध्यान में रखा है परंतु शुक्ल जी के अंतर्मन में कही न कहीं सूर के संदर्भ में विस्तृत विवेचना की भावना थी।