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Title:
Marichjhapi Ko Chhookar Bahti Hai Jo Nadi
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Description:
विभाजन, विस्थापन एवं पुनर्वासन की इस कथा के अन्वेषण में निकला किरदार अमलेन्दु स्वयं इसी कथा का हिस्सा बन जाता है और उसके साथ-साथ कथा के तमाम किरदार, बादल, मेघना, रूपशा, पद्मा आदि भी विस्मृत की खोह से निकल, अपनी पीड़ा और त्रासदी को पुनः जीते हुए चल पड़ते है- जैसे अपनी ही आपबीती को सुनाते हुए। और इस तरह सफ्हा दर सफ्हा खुलता जाता है इस उपन्यास का कथानक। सैंतालीस की आज़ादी के साथ बंगाल का विभाजन असंख्य अल्पसंख्यकों को धार्मिक उन्माद और सांप्रदायिकता के आगे असहाय, असुरक्षित छोड़ देता है। आरम्भ होता है पूर्वी बंगाल से चरणों में लगातार विस्थापन का पीड़ादायक सिलसिला और शरणार्थी शिविरों से लेकर दण्डकारण्य के पुनर्वासन केंद्रों तक का त्रासद जीवनानुभव। कोरे राजनैतिक प्रलोभनों के माध्यम से बंगाल के सुंदरबन डेल्टा क्षेत्र का निर्जन द्वीप ‘मरिचझाँपि’ उन्हें लुभाता है। हज़ारों की संख्या में दण्डकारण्य से पलायन शुरू हो जाता है। इस यात्रा की त्रासदी का ही आख्यान है यह उपन्यास