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Title:
Kahani ka Rangmanch aur Natya Rupantaran
Description:
प्राय: 'कहानी का रंगमंच' तथा नाट्‌य रूपान्तरण को एक मान लिया जाता है। नाट्‌यरूपान्तरण के विश्लेषण हेतु प्रो. देवेन्द्र राज अंकुर से जब उनके द्वारा मंचित अज्ञेय के उपन्यास 'अपने अपने अजनबी' के नाट्‌यरूपान्तरण की प्रति भेजने का मैंने अरूरोध किया तो उन्होंने साफ शब्दों में मुझे लिखा कि मैंने उसका नाट्‌यरूपान्तरण किया ही नहीं, मैंने तो 'कहानी का रंगमंच' के अंतर्गत केवल उपन्यास का मंचन किया है।