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Title:
Shilp Aur Samaaj
Authors:
Description:
साहित्य रूपों का आविर्भाव और अवसान ही नहीं, साहित्यिक कृतियों का शिल्प भी समाज और इतिहास की परिस्थितियों पर निर्भर होता है। काव्यशिल्प, कथाशिल्प, मूर्तिशिल्प जैसी पदावली कलात्मक अभिव्यक्ति में रूपरचना या स्थापत्य का महत्त्व स्पष्ट करती है। बेनेदेतो क्रोचे भी अभिव्यंजना के लिए अनुभूति को पर्याप्त मानते थे लेकिन वह अनुभूति कला तभी बनती थी।