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Title:
Bhatt Sahab ...Aur Kya Kahte Hain
Description:
17-18 साल पहले 2007-8 में भट्ट साहब (महेश भट्ट) ने मेरे आग्रह पर मनुष्य के मूल भाव और फिल्मों में उनकी अभिव्यक्तियों पर ये लेख लिखे थे। महेश भट्ट के लेखन का एक व्यक्तिपरक पहलू है। वे अपने विचार और दर्शन को स्थापित करने के लिए निजी कार्यों और फिल्मों के अनुभव को आधार बनाते हैं। उनके लेखों में आत्मपरकता रहती है।