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Title:
Bhartiy Lok Sahitya Parampara Aur Paridrishya
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Description:
लोक-कलाएं लोक-संस्कृति और लोक साहित्य बाजार की बिकाऊ वस्तुएं नहीं हैं । सभी गंभीर संभावनाओं को धारण करने वाली ठोस अवधारणाएं हैं जिनका उपयोग रचनात्मकता से किया जाना चाहिए । लोक भाषाओं में बिखरे हुए मूल्यवान शब्द भंडार का उपयोग भाषा की समृद्धि के लिए किया जाना चाहिए । प्रस्तुत पुस्तक में लोक-साहित्य की संभावनाओं तथा लोकसाहित्य की विशेषताओं को देखने की दृष्टि प्रस्तावित करने का प्रयास किया है ।