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Title:
Bhartiy Rangmanch Aur Manjul Bhardwaj
Description:
मंजुल बाकी थियेटरकर्मियों से अलग इसलिए लगे कि वह थियेटर को सिर्फ कलात्मक प्रदर्शन के तौर नहीं लेते थे, बल्कि मनुष्य के जीवन में बदलाव का माध्यम मानते थे। हमसे मुलाकात से पहले वह यूरोप में अपना औचित्य साबित कर आए थे। मुंबई में भी उनका सुनियोजित रंगकर्म था।यह किताब नए पाठकों या कहें रंगकर्मियों को दृष्टि और समझ देने में जरूर सहायक होगी।