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Title:
Dastan E Ashfaq
Description:
यह दास्तान गोई अशफ़ाक़ उल्लाह की ज़िंदगी के साथ उनके अफ़कार को भी माक़ूल जगह देती है। हम सबका इरादा यह है कि इसे रवायती अन्दाज़ से थोड़ा हटकर पेश किया जाए, इसलिए इसकी शुरुआत साक़ी नामा से न करके अशफ़ाक़ के उस कलाम से करते हैं जो उन्होंने अपने केस के फ़ैसले की पूर्व संध्या यानी 12 जुलाई 1927 की रात को रचा था, इसके रावी ख़ुद शचिंदरनाथ बक्शी हैं।