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Title:
Malavgarh Ki Malvika
Description:
देवराला से रूपकुँवर आई और मेरे कानों में फुसफुसाई- “मुझे ढकेल- ढकेल कर पति की चिता के साथ ज़िंदा जलाई गई को अपनी कहानी में जीवित नहीं करोगी?” मेरी क़लम काँप गई- “नहीं रूपकुँवर... मैं औरत की पराजय नहीं लिख पाती।” वह ढीठ-सी जमकर मेरे सामने बैठ गई।.... उस वक़्त रेडियो में से एक दर्दीले गीत की आवाज़ कमरे को मुखर कर रही थी, पर गीत वही तो नहीं होता जो कानों को सुनाई दे?