उ.प्र. के देवरिया जिले की रुद्रपुर जिले के एक गाँव सिलहटा में जन्मे प्रतिष्ठित कवि-आलोचक जितेन्द्र श्रीवास्तव ने बी.ए. तक की पढ़ाई गाँव और गोरखपुर में की तत्पश्चात जे.एन.यू., नई दिल्ली से हिंदी साहित्य में एम.ए., एम.फिल और पीएच.डी.।
हिंदी के साथ-साथ भोजपुरी में भी लेखन प्रकाशन। इन दिनों हालचाल, अनभै कथा, असुंदर सुंदर बिल्कुल तुम्हारी तरह, कायान्तरण कवि ने कहा (कविता संग्रह), भारतीय समाज, राष्ट्रवाद और प्रेमचंद, शब्दों में समय, आलोचना का मानुष-मर्म, सर्जक का स्वप्न, विचारधारा, नए विमर्श और समकालीन कविता, उपन्यास की परिधि, रचना का जीवद्रव्य, कहानी का क्षितिज (अलोचना), शोर के विरूद्ध सृजन (ममता कालिया का रचना संसार), प्रेमचंद : स्त्री जीवन की कहानियाँ, प्रेमचंद: दलित जीवन की कहानियाँ, प्रेमचंद: स्त्री और दलित विषयक विचार, प्रेमचंद: हिंदू-मुस्लिम एकता संबंधी कहानियां और विचार, प्रेमचंद: किसान जीवन की कहानियाँ, प्रेमचंद, स्वाधीनता आंदोलन की कहानियों, कहानियाँ रिश्तों की: (परिवार), प्रेमचंद कहानी समग्र (संपादन) इनकी प्रकाशित कृतियाँ हैं।
इसके अतिरिक्त प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में लगभग 200 आलेख प्रकाशित हैं।
इन्हेंने विभिन्न विश्वविद्यालयों और प्रतिष्ठित संस्थाओं में आयोजित राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठियों में 180 से अधिक आमंत्रित व्याख्यान दिए हैं। इसके अतिरिक्त भारतीय ज्ञानपीठ, नई दिल्ली से प्रकशित गोदान, रंगभूमि और ध्रुवस्वामिनी की भूमिकाएं भी लिखी हैं।
इनकी कई कविताओं का अंग्रेजी, मराठी, उर्दू, उड़िया और पंजाबी में अनुवाद हुआ है। लंबी कविता सोनचिरई की कई नाट्य प्रस्तुतियाँ हो चुकी हैं। कई विश्वविद्यालयों के कविता केंद्रित पाट्ठ्यक्रमों में इनकी कविताएं शामिल हैं। इन्होंने महत्वपूर्ण साहित्यिक पत्रिका 'उम्मीद' का संपादन भी किया है।
जितेन्द्र श्रीवास्तव अब तक कविता के लिए भारत भूषण अग्रवाल सम्मान और आलोचना के लिए देवीशंकर अवस्थी सम्मान सहित हिंदी अकादमी दिल्ली का 'कृति सम्मान', उ.प्र. हिंदी संस्थान का 'रामचंद्र शुक्ल पुरस्कार', उ.प्र. हिंदी संस्थान का 'विजयदेव नारायण साही पुरस्कार', भारतीय भाषा परिषद्, कोलकाता का युवा पुरस्कार, डॉ. रामविलास शर्मा आलोचना सम्मान और परंपरा ऋतुराज सम्मान ग्रहण कर चुके हैं।
सम्प्रति:अध्यापन। कार्यक्षेत्र पहाड़, गाँव और अब महानगर। इन दिनों इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय, नर्इ दिल्ली के मानविकी विद्यापीठ में हिंदी के प्रोफेसर हैं। पूर्व में इग्नू के कुलसचिव रह चुके हैं। इन दिनों इग्नू के पर्यटन एवं आतिथ्य सेवा प्रबंध विद्यापीठ के निदेशक हैं।