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Title:
TatSam
Authors:
Description:
अपने पात्रों की नियति को तत्-समता के इस अभिशाप से उबारकर लाता यह उपन्यास जिजीविषा के मर्म- भेदन का आलोकपर्व है। यहाँ दुख दुख नहीं, दृष्टि है- कुछ ऐसी प्राणवक्ता का उपार्जन, जो गिर जाने पर कपड़े झाड़कर खड़े हो जाने का संकल्प और आत्मबल भी देता है’- फिर भी यह कोई प्रेमकथा नहीं है, न स्त्री-विमर्श की दिशा में चिंतन के हाथ बढ़ाने की कोई आवेगित कोशिश।